भाई हद्द है !

एक थैली मे रहें दिन  रात…. भाई हद्द है …
और उधर संसद मे जूता-लात… भाई हद्द है
 
आपके पैसे की रिश्वत आप को
सड़क बिजली घर की लालच आपको
चुनावी मौसम मे सेवक आपके
जीत कर पूंछें न अपने बाप को 
आप ही के धन से धन्नासेठ हैं
आप ही पर लगाते हैं घात … भाई हद्द है
 
शिकारी या भिखारी हर वेश मे
जहाँ मौका मिले धन्धा कूट लें
क्या गजब का हुनर पाया है कि ये
जिस तरफ नज़रें उठा दें लूट लें
दो धड़ों मे बाँट कर इन्सान को 
एक चिंगारी उछालें   ………फूट लें
अब लगी अपनी बुझाओ आप … भाई हद्द है
 
जाति भाषा क्षेत्र वर्गों मे फंसी
सोच अपनी जेल बन कर रह गई
वोट के आखेट पर हैं रहनुमा
राजनीति गुलेल बन कर रह गई 
लोकशाही आज के इस दौर मे
खानदानी खेल बन कर रह गई
जिन्हें उंगली पकड़ चलना सिखाया
वही बन बैठे हैं माई बाप… भाई हद्द है