ये दिल का फलसफा भी क्या खाक समझ पाते
काबू मे दिल ही होता तो दिल ही क्यों लगाते
हर चोट ख़ुशी देती हर ज़ख्म मुस्कुराते
गर डूब गए होते तो पार उतर जाते
मुश्किल से तराशा है जीवन को मुश्किलों ने
हम तैर न पाते जो तूफ़ान नहीं आते
वो कायनात रच कर आराम से बैठा है
और बन्दे परेशां हैं इक आशियाँ बनाते
जब तक न लगे ठोकर एहसास नहीं होता
वो मानता नहीं था हम कब तलक बताते
ऊमीद के धागों में वो बाँध गया साँसें
तुम इंतज़ार करना कह गया जाते जाते
….. पद्म सिंह ०८-०७-२०१