कई बार मज़ाक मे लिखी गयी दो चार पंक्तियाँ अपना कुनबा गढ़ लेती है… ऐसा ही हुआ इस जूता पचीसी के पीछे… फेसबुक पर मज़ाक मे लिखी गयी कुछ पंक्तियों पर रजनीकान्त जी ने टिप्पणी की कि इसे जूता बत्तीसी तक तो पहुँचाते… बस बैठे बैठे बत्तीसी तो नहीं पचीसी अपने आप उतर आई… अब आ गयी है तो आपको परोसना भी पड़ रहा है… कृपया इसे हास्य व्यंग्य के रूप मे ही लेंगे ऐसी आशा करता हूँ।
जूता मारा तान के लेगई पवन उड़ाय जूते की इज्ज़त बची प्रभु जी सदा सहाय ।1। साईं इतना दीजिये दो जूते ले आँय मारहुं भ्रष्टाचारियन जी की जलन मिटाँय ।2। जूता लेके फिर रही जनता चारिहुं ओर जित देखा तित पीटिया भ्रष्टाचारी चोर ।3। कबिरा कर जूता गह्यो छोड़ कमण्डल आज मर्ज हुआ नासूर अब करना पड़े इलाज ।4। रहिमन जूता राखिए कांखन बगल दबाय ना जाने किस भेस मे भ्रष्टाचारी मिल जाय ।5। बेईमान मचा रहे चारिहुं दिसि अंधेर गंजी कर दो खोपड़ी जूतहिं जूता फेर ।6। कह रहीम जो भ्रष्ट है, रिश्वत निस दिन खाय एक दिन जूता मारिए जनम जनम तरि जाय ।7। भ्रष्टाचारी, रिश्वती, बे-ईमानी, चोर खल, कामी, कुल घातकी सारे जूताखोर ।8। माया से मन ना भरे, झरे न नैनन नीर ऐसे कुटिल कलंक को जुतियाओ गम्भीर ।9। ना गण्डा ताबीज़ कुछ कोई दवा न और जूता मारे सुधरते भ्रष्टाचारी चोर 10। जूता सिर ते मारिए उतरे जी तक पीर देखन मे छोटे लगें घाव करें गम्भीर ।11। भ्रष्ट व्यवस्था मे चले और न कोई दाँव अस्त्र शस्त्र सब छाँड़ि के जूता रखिए पाँव ।12। रिश्वत खोरों ने किया जनता को बेहाल जनता जूता ले चढ़ी, लाल कर दिया गाल ।13। रहिमन काली कामरी, चढ़े न दूजो रंग पर जूते की तासीर से भ्रष्टाचारी दंग ।14। थप्पड़ से चप्पल भली, जूता चप्पल माँहिं जूता वहि सर्वोत्तम जेहिं भ्रष्टाचारी खाहिं ।15। रहिमन देखि बड़ेन को लघु न दीजिये डारि जहाँ काम जूता करे कहाँ तीर तरवारि ।16। जूता मारे भ्रष्ट को, एकहि काम नासाय जूत परत पल भर लगे, जग प्रसिद्ध होइ जाय ।17। भ्रष्ट व्यवस्था मे कभी मिले न जब अधिकार एक प्रभावी मन्त्र है, जय जूतम-पैजार ।18। जूता जू ताकत फिरें भ्रष्टाचारी चोर जूते की ताकत तले अब आएगी भोर ।19। रिश्वत दे दे जग मुआ, मुआ न भ्रष्टाचार अब जुतियाने का मिले जनता को अधिकार ।20। एक गिनो तब जाय के जब सौ जूता हो जाय भ्रष्टाचार मिटे तभी जब बलभर जूता खाय।21। दोहरे जूते के सदा दोहरे होते कामहाथों का ये शस्त्र है पैरों का आराम ।22। पनही, जूता, पादुका, पदावरण, पदत्राण भ्रष्टाचारी भागते नाम सुनत तजि प्राण ।23। जूते की महिमा परम, जो समझे विद्वान बेईमानी के लिए जूता-कर्म निदान ।24। बेईमानी से दुखी रिश्वत से हलकान जूत पचीसी जो पढ़े, बने वीर बलवान ।25।