ब्लागिंग बनाम न्यू मीडिया

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मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अभिव्यक्ति की क्षमता ही इसे अन्य जीवों से अलग और उन्नत स्थान दिलाती है। किसी भी सृजनात्मक और कला विषय के तीन मुख्य पहलू होते हैं। पहला है अनुभूति(observation), जहाँ हम पांचों ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से भौतिक जगत से तादात्म्य स्थापित करते है। भौतिक जगत को दृष्टि, गंध,स्वाद,स्पर्श और श्रवण के माध्यम से अनुभव करते है। दूसरा पहलू है विश्लेषण, जिसके द्वारा हम ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्राप्त अनुभवों को अपने विवेक, मनःस्थिति, मान्यताओं, और मूल्यों के आधार पर विश्लेषण करते हैं … जिसके अंतर्गत हर व्यक्ति एक ही परिस्थिति को अलग अलग ढंग से विश्लेषित कर सकता है। तीसरा पहलू है अभिव्यक्ति का… इसके अंतर्गत हम अपने अनुभवों को अपने विश्लेषणों के आधार विचारों के रूप मे दुनिया के सामने संप्रेषित करते हैं। किसी घटना, परिस्थिति अथवा भावना का प्रकटीकरण ही अभिव्यक्ति है।

अभिव्यक्ति के अनेक प्रकार हैं। इनमे दृश्य, श्रव्य तथा पाठ्य साधनों मे की गयी अभिव्यक्ति प्रमुख हैं। लगभग सभी ललित कलाएँ अभिव्यक्ति का ही साधन हैं। जहां दृश्य साधनों मे रंगमंच, सिनेमा, पेंटिंग, टेलीविज़न और अन्य ललित कलाएं प्रमुख हैं, वहीं श्रव्य मे संगीत और पाठ्य साधनों मे लेखन का प्रमुख स्थान है। लेखन के विकास से पहले सभी साहित्य और ज्ञान स्मृति के रूप मे एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी तक अग्रसारित होती रही, लेकिन इस तरह के ज्ञान और विचारों की परिस्थितियों और समय के बदलावों के कारण बहुत क्षति भी हुई । लेखन के विकास के साथ किसी ज्ञान को संरक्षित रखना और अगली पीढ़ी तक संप्रेषित करना आसान और सुरक्षित हो गया। विकास के साथ साथ लेखन और पाठन ने विकास और उन्नति प्राप्त की।

लेखन का इतिहास लिखना यहाँ संभव और आवश्यक नहीं। लेखन किताबों, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं आदि के रूप मे सदियों तक लेखकों से पाठकों तक विचारों के सम्प्रेषण का साधन रहा है, जिसमे बहुत सी लेखन विधाओं ने जन्म लिया। लेकिन कहीं न कहीं इस प्रकार का लेखन विचारों का एकतरफा और सीमित सम्प्रेषण ही रहा है। लेखक ने जो कुछ लिखा उसके प्रति पाठकों की प्रतिक्रिया प्राप्त करना असंभव नहीं तो सुलभ भी नहीं रहा है। इसके लिए समीक्षाओं आदि के अतिरिक्त अन्य कोई तात्कालिक साधन नहीं था। इस तरह के ज्ञान और साहित्य की पहुँच भी एक सीमित रहती थी। इस तरह के ज्ञान का एक और महत्वपूर्ण पहलू है कि तमाम संभावनाओं और योग्यताओं के बावजूद भी हर किसी का छपना संभव नहीं था। कालांतर मे संगणक(कंप्यूटर) और अंतर्जाल के विकास ने पूरी दुनिया को जैसे मुट्ठी मे कर दिया है। एक पल मे हम अपने विचारों का सम्प्रेषण पूरे विश्व के सामने कर सकते हैं। और अच्छी बात यह कि धीरे धीरे तकनीक के विकास के साथ भाषाई सीमाएं भी टूटती जा रही हैं।
इन्टरनेट पर सूचनाओं के आदान प्रदान के बहुत से तरीके और स्थान उपलब्ध है। आप अपने लिए एक स्थान एक पता निश्चित कर सकते हैं जहां लोग आपके विचारों भावनाओं और अभिव्यक्तियों को पढ़ सकें, देख सकें और सुन सकें। अर्थात अभिव्यक्ति की उपरोक्त लगभग सभी विधाएँ एक स्थान पर एक ही समय मे प्रयोग की जा सकती हैं । यद्यपि अपना स्थान सुनिश्चित करने के लिए अंतर्जाल पर कुछ शुल्क देय होता है। लेकिन कई सेवा प्रदाताओं द्वारा सूचनाओं और विचारों की अभिव्यक्ति के लिए निःशुल्क स्थान भी उपलब्ध कराये जाते हैं, जिन्हें हम ब्लॉग के नाम से जानते हैं। यहाँ हम अपने विचार, सूचनाएँ, और रचनात्मक कार्यों आदि को दृश्य, श्रव्य और लेखन आदि के माध्यम से अभिव्यक्त कर सकते हैं। यह आजकल न्यू मीडिया के रूप मे भी काफी चर्चित है जो अपनी असीम पहुँच, तकनीकी सक्षमता और त्वरित पाठक प्रतिक्रिया आदि खूबियों के कारण शीघ्र ही वृहद विस्तार पाने वाली है

imagesब्लागिंग को हम मोटे तौर पर सार्वजनिक डायरी के रूप मे देख सकते हैं। यद्यपि आज ब्लागिंग का क्षेत्र व्यक्तिगत विचारों के व्यक्त करने से कहीं विस्तृत हो गया है। समाचार, सामाजिक सरोकार, तकनीक, यात्रा वृत्तान्त, साहित्य, संगीत आदि कलाओं सहित ढेरों आयामों को समेटे हुए ब्लॉगिंग का संसार निरंतर वृहत्तर होता जा रहा है। आज धीरे धीरे जहां ब्लागिंग प्रिंट मीडिया के समानान्तर आने लगा है, वहीं इसकी भविष्य की  वृहद संभावनायेँ इसे न्यू मीडिया के रूप मे चर्चित कर  रही हैं। न्यू मीडिया अथवा ब्लागिंग की कुछ विशेषताएँ ऐसी हैं जो इसे अन्य माध्यमों से बेहतर और विस्तृत बनाता है। इसे मुख्य रूप से इन बिन्दुओं से समझ सकते हैं-

1- लेखन की पहुँच अथवा विस्तार- पत्रिकाओं, समाचार पत्रों और अन्य छपाई के साधनों की पाठकों तक पहुँच सीमित होती है जब कि ब्लोगिंग के द्वारा हम अंतर्जाल के द्वारा अपने विचारों को सेकेंडों मे पूरी दुनिया तक पहुंचा सकते हैं।
2- अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता- प्रिंट मीडिया मे जहां हमारे विचार प्रकाशक, संपादक आदि द्वारा संशोधित अथवा बाधित हो सकते हैं। हमें इन पर छपने के लिए लेखक और रचनाकार जैसी योग्यता की आवश्यकता होनी आवश्यक है, वहीं ब्लागिंग मे हम स्वयं ही प्रकाशक हैं और संपादक भी। हाँ इतना अवश्य है कि इसमे हमारी ज़िम्मेदारी अधिक बढ़ जाती है।
3- पाठकों की प्रतिक्रिया- अभिव्यक्ति के अन्य साधनों मे पाठकों की प्रतिक्रियाएँ प्राप्त करना असंभव नहीं तो दुरूह तो है ही। ब्लोगिंग मे आपके विचारों पर टिप्पणियों के माध्यम से प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकते हैं। दो तरफा संवाद एक वैचारिक मंथन की प्रक्रिया प्रारम्भ करता है जिससे अमिय और गरल का पृथक्करण अवश्यंभावी है।
4- जहाँ अभिव्यक्ति के अन्य साधनों की अपनी एक सीमा होती है… जैसे प्रिंट मीडिया केवल पाठ्य विषयों तक सीमित है, किन्तु ब्लागिंग मे हम पाठ्य विषयों, चित्रों, वीडियो, और आवाज़ आदि के माध्यम से एक साथ अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं।
5- एक पारिवारिक माहौल — अभिव्यक्ति के अन्य साधनों की दुरूह पहुँच से इतर  एक पारिवार जैसे माहौल मे कार्य करते हुए अन्य ब्लोगर्स का सहयोग भी पा सकते हैं।

इस तरह ब्लागिंग विचारों के वैश्वीकरण का एक सस्ता, उपयोगी और प्रभावशाली विधा है अथवा न्यू मीडिया है। अपने विचारों को पंख दीजिये और दीजिये उन्मुक्त उड़ान ब्लोगिंग के माध्यम से।
पद्म सिंह — https://padmsingh.wordpress.com