कमेंटर बाबा

धन्य हैं ब्लागर बाबा लोंग जो इतने ठन्डे मौसम में …. जब कि रजाई से मुह लिकालने की हिम्मत नहीं हो रही है … पूरा का पूरा दिमाग और दिमाग से विचार निकाल कर उसका ब्लोगीकरण कर रहे हैं, भाई मै तो ठहरा नया ब्लोगर पर रोज देखता हूँ ब्लोगरी की बाजीगरी, बड़ा माद्दा है भाई ब्लोगर बाबाओं में, अहर्निश ब्लॉग सम्पदा में बढोत्तरी करने को कटिबद्ध हैं, हर ब्लॉग हर विषय पर चर्चाएँ हो रही हैं, नए विषय और विचार उपलब्ध है, दरिया से गंदे नाले तक, महान विभूतियों से ले कर नेताओं तक, हर विषय पर… मेरे एक ब्लागर मित्र तो ऐसे हैं कि जब भी कम्प्युटर खोलता हूँ उनकी हरी बत्ती जलती ही मिलती है, चाहे रात के एक बजे हों या सुबह के पांच,…. नमन करता हूँ ऐसे समर्पित ब्लॉग बाबाओं को …. पर आज ब्लॉग जगत की दूसरी और विशेष विधा पर बात करना चाहता हूँ…जिनके बिना ब्लॉग जगत अधूरा है …. ब्लोगर तो महान हैं ही पर ब्लागर होने के अतिरिक्त ब्लॉग जगत में एक और विधा में पारंगत होने की आवश्यकता को मैंने महसूस किया है . तो आज ऐसे लोगों के बारे में बात करें जो ब्लोगर्स और साहित्यकारों के क्रिया, कर्म को अर्थ प्रदान करने हैं, कमेन्ट करते हैं सलाह देते हैं,….. कमेन्ट करने या सलाह देने के अपने अलग ही सुख हैं, ऐसा सुख और कहाँ, दो पल का कष्ट……. थोडा सा रजाई से हाथ निकालो और दे दो अपना कमेन्ट, किसी ने कहा है एक पन्ना लिखने के लिए १००० पन्ने पढ़ने पड़ते हैं तब कुछ लिखने लायक ज्ञान होता है… लेकिन इस विधा में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कोई दुविधा नहीं है, इस से भी आपकी योग्यता का उतना ही परिचय मिलता है जितना कि ब्लोगर का, अगले ने बहुत मेहनत से एक ब्लॉग लिखा……गंभीर हो कर…….. बच्चों को सुला कर…. देर रात भावना को जगा कर, कल्पना को सजा कर एक रचना की…. और आपको क्या करना है बस इन में से एक शब्द लिखना है जैसे – बहुत खूब,बहुत सुन्दर,”उत्तम ,”संभावनाएं जगाती रचना, या क्या बात है.. और कुछ नहीं तो काफिया, बहर, या लफ़्ज़ों के वज़न पर सलाह तो दे ही सकते हैं…आदि आदि…और भी इसी तरह, और इतने से ही आपकी विषय की समझ और ज्ञान की पुष्टि हो जाती है,…. ज्ञात हो जाता है कि आपको विषय की कितनी समझ है, इस से एक बात और होती है….., कितना ही बड़ा ब्लोगर हो, या साहित्यकार हो….उसकी किसी भी रचना के नीचे एक शब्द लिखिए बहुत खूब और चमत्कार अनुभव करें, तुरंत आप कहाँ पहुच गए, आपको परीक्षक जैसा सुख मिलेगा और और ब्लोगर परीक्षार्थी की भूमिका में दिखाई देगा… और आपको ज्ञानी होने का फील-गुड भी होगा…….

इसी क्रम में बचपन का एक अनुभव साझा करें आपसे….. मेरे घर मेरे एक रिश्तेदार आते थे कभी कभी, छोटा था मैं, पर जब भी आते अपनी योग्यता की छाप छोड़े बिना न जाते, जब भी आते तो प्यार से बुलाते और पूछते बेटा किस क्लास में हो, इतना पूछते ही हम सुरक्षा मोड में आ जाते…… पता था, दूसरा प्रश्न आने ही वाला है, और क्लास बताते ही दूसरा प्रश्न दाग देते…….. बेटा बताओ मेरे स्टेशन पहुचने से पहले गाडी छूट चुकी थी का अंग्रेजी में ट्रांसलेशन क्या होगा, और इसी तरह के और भी प्रश्न…जब भी मौका मिलता ….. यकीन मानिए आते हुए भी घबराहट में सारा ज्ञान जाता रहता… अज्ञानता और अपराधबोध के साथ साथ लगता जैसे सारा खून चूस लिया गया हो, सारी पढ़ाई निरर्थक लगती…. और उनका चेहरा… गर्व से हरा भरा (या शायद लाल) हो जाता……और जब तक रहते उनका परचम लहराता रहता और कोई बच्चा उनके आस पास नहीं फटकता और अगर कुछ मंगाते तो जल्दी से प्रस्तुत कर उड़न छू हो जाते…. सच बताऊँ तो इतना टेंस कर देते कि फिर सारा दिन सारे टेंस दिमाग में घूमते रहते….

तो मै बता रहा था कि किसी पर कमेन्ट करने के अपने मज़े हैं … आप ज्यादा से ज्यादा एक साथ कितनी विधाओं पर लिख सकते हैं, कला, साहित्य, कविता, समाज, गज़ल या राजनीति…. आपकी अपनी सीमा है, पर यकीन मानिए यहाँ पर कोई वर्जना नहीं, दुनिया के किसी भी विषय पर आप कमेन्ट दे सकते हैं…. अपनी सलाह दे सकते हैं…. और किसी को शक भी नहीं होगा आपकी योग्यता का…. एक फायदा और …. आपके लेखों पर कमेन्ट और आलोचना हो सकती है, पर आपके कमेन्ट पर कमेन्ट करने वाला कोई जिगरी ही होगा…. इसलिए कमेन्ट और सलाह देना आसान ही नहीं वरन आत्मिक सुख देने वाला भी है….. आपकी कमेन्ट देने या सलाह देने की आदत और योग्यता कभी खाली नहीं जायेगी …आपकी ये योग्यता किसी भी रचना को अमर, अद्वितीय, या अनिर्वचनीय बना सकती है…. कई रचनाएं तो मैंने ऐसी भी पढ़ी हैं जिनकी कोई सर पूंछ नहीं होती …पता ही नहीं चलता ये है क्या … पर उनपर किये गए कमेन्ट देख कर विश्वास हो जाता है कि ज़रूर कोई गूढ़ रचना है जो मुझ मूढ़ को समझ नहीं आयी… पर ऐसी रचनाओं पर रुकिए मत…. ज़रूर कमेन्ट करिये नहीं तो हो सकता है आप समझदार होने की सुखानुभूति न प्राप्त कर सकें …. और फिर कुछ कमेन्ट मिल कर रचना को कालजयी बना दें तो कोई आश्चर्य नहीं…. हाँ इस विधा में पारंगत होना भी आवश्यक है, क्यों कि सलाह के नाम पर भी सच लिखना खतरे से खाली नहीं है, अगर आपने सच लिख दिया तो हो सकता है अगली बार सम्बंधित ब्लोगर महोदय आपके ब्लॉग पर …..!!! इस लिए ये विधा आपको लोगों की भावनाओं की कद्र(…???) करना भी सिखाती है(Mutual Understanding) जैसे किसी मेहमान के सामने कुछ भी खाने को रख दो बेचारा शर्म लिहाज के मारे बहुत अच्छा खाना बना है कह कर खा लेता है. आप अगर ब्लोगर हैं और चाहते हैं कि आपको ज्यादा पढ़ा जाय …. आप का शुमार साहित्य कारों में हो तो मेरी सलाह मानिए और जहाँ कोई ब्लॉग मिले, जहाँ कोई रचना दिखे कमेन्ट ज़रूर दें…अपनी योग्यता की छाप अवश्य छोड़े….. हो सके तो ब्लॉग और रचनाएं ढूंढ ढूंढ कर कमेन्ट करें … और फिर परिणाम देखें… (ब्लागर बाबाओं से साथ साथ कमेंटर बाबाओं की जय)

नोट- अंत में आपको एक सलाह और देना चाहता हूँ कि अगर आप राजनीति में हैं तो इस विधा का प्रयोग बिलकुल न करें…. न मै आपकी कहूँ, न आप मेरी कहें

……….. आपका पद्म सिंह (9716973262)( ppsingh8@gmail.com )